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हरियाणा में वीआईपी नंबर अलॉटमेंट घोटाला! जांच में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

सितंबर 2024 में वाहन पोर्टल पर यह मामला उजागर हुआ। इसके बाद 20 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त चंडीगढ़ ने फतेहाबाद और जगाधरी के पंजीकरण अधिकारियों को पत्र (क्रमांक 48179-80) भेजकर उन अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम मांगे, जिन्होंने पुराने वीआईपी नंबरों को पुनः अलॉट किया था।

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हरियाणा के परिवहन विभाग में वीआईपी नंबरों को दोबारा अलॉट करने का मामला एक बड़े घोटाले का रूप ले चुका है। फतेहाबाद और जगाधरी में इस गोरखधंधे ने विभागीय नियमों और निर्देशों को पूरी तरह से ताक पर रख दिया है। यह मामला तब सामने आया जब परिवहन आयुक्त चंडीगढ़ और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने सितंबर 2024 में इस मुद्दे पर गहन जांच शुरू की।

परिवहन आयुक्त के निर्देश और उनका उल्लंघन

8 नवंबर 2019 को हरियाणा के परिवहन आयुक्त ने एक निर्देश जारी किया था। इस पत्र (क्रमांक 42800-42882) में सभी पंजीकरण अधिकारियों और एसडीएम को आदेश दिया गया था कि पुरानी सीरीज (एचआरएस, एचएनएन, एचआरयू आदि) के वीआईपी नंबरों को तुरंत रद्द किया जाए और छह महीने के भीतर वाहनों पर नई सीरीज के नंबर अनिवार्य रूप से लगाए जाएं। हालांकि फतेहाबाद और जगाधरी में इन निर्देशों का पालन नहीं हुआ। इसके बजाय, पुराने वीआईपी नंबरों को पुनः अलॉट करने का काम चलता रहा।

वीआईपी नंबर अलॉट करने में अनियमितता

सितंबर 2024 में वाहन पोर्टल पर यह मामला उजागर हुआ। इसके बाद 20 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त चंडीगढ़ ने फतेहाबाद और जगाधरी के पंजीकरण अधिकारियों को पत्र (क्रमांक 48179-80) भेजकर उन अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम मांगेजिन्होंने पुराने वीआईपी नंबरों को पुनः अलॉट किया था।

फतेहाबाद कार्यालय ने तत्कालीन एसडीएम कुलभूषण बंसल और क्लर्क अजमेर सिंह को इस घोटाले के लिए जिम्मेदार बताया। यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि एसडीएम कुलभूषण बंसल पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में हैं, जबकि क्लर्क अजमेर सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। फतेहाबाद में एचआरएफ 0021 नंबर तत्कालीन विधायक दुड़ाराम की पत्नी मालागिरी को 29 अक्तूबर 2020 को और विधायक दुड़ाराम को एचवाईजे 0021 नंबर 3 फरवरी 2021 को अलॉट किया गया। यह अलॉटमेंट विभागीय निर्देशों के सीधे उल्लंघन का उदाहरण है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जांच

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सिरसा ने 5 नवंबर 2024 को एसडीएम फतेहाबाद को पत्र (क्रमांक 262) भेजकर 43 वाहनों की फाइलें मांगी। ये वाहन 2018 से 2024 के बीच पंजीकृत किए गए थे। पत्र में 27 वीआईपी नंबरों की सूची भी संलग्न थी। ब्यूरो के निरीक्षक और जांच अधिकारी सुखजीत सिंह ने बताया कि लगभग 40 पुरानी सीरीज के नंबरों की जानकारी मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार, इस जांच से 10 वर्षों के वाहन पंजीकरण और नंबर अलॉटमेंट में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर हो सकती हैं।

वाहन पंजीकरण कार्यालय में अनियमितता

फतेहाबाद के वाहन पंजीकरण कार्यालय में पुरानी सीरीज के ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को बिना बीमा के ट्रांसफर करने का काम जारी है। कर्मचारियों से ज्यादा टाइपिस्टों की भीड़ कार्यालय में देखी जाती है। सूत्रों का कहना है कि कुछ विशेष टाइपिस्टों के जरिए आने वाली फाइलों को प्राथमिकता दी जाती है जबकि अन्य फाइलों में जानबूझकर कमियां निकाल दी जाती हैं। 10 वर्षों के पंजीकरण रिकॉर्ड की गहन जांच से बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। यह भी सामने आ सकता है कि नियमों का पालन किए बिना वीआईपी नंबरों को दोबारा अलॉट करने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी।

Satbir Singh

My name is Satbir Singh and I am from Sirsa district of Haryana. I have been working as a writer on digital media for the last 6 years. I have 6 years of experience in writing local news and trending news. Due to my experience and knowledge, I can write on all topics.

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